Wednesday 27 April 2011

तुम क्यों रो रही थी..?

कल शाम
तुम क्यों रो रही थी..?
देखा था राह चलते
तुम्हे
उस मोड़ पर..
और फिर दो मोती 
तुम्हारी आँख पर...
क्या फिर किसी ने तोडा था 
दिल तुम्हारा..
या फिर खुद को  
महसूस किया था 
बेसहारा...
क्या फिर अहसास हुआ था
मेरी तन्हाई का
या फिर
अपनी उस बेवफाई का..
तुम जानती तो थी
मेरे हालत
न जाने कितने ही अरमान
घुटे थे उस शाम
और फिर एक लम्बा 
स्वप्न
न जाने कितने दिनों
या वर्षो का ..
और फिर अचानक कल शाम
देखा तुम्हे
रोते ...
सोचा था कभी मिलूँगा
तो हस के बात  ही करोगी
पर
ये क्या?
तुम तो आज फिर
वही कहानी लिए मिली..
क्या हुआ जो वो
समझ न पाया
तुम्हारी धड़कन
और चला गया पल में ही
आँखों से ओझल
कर के तुम्हारे ख्वाबो का क़त्ल
भूलने को न जाने कितनी
यादे देकर
तुम्हे रोता देख
मै भावुक हूँ
पर याद करो वो शाम
तुम हसी थी मुझपर
और खूब हसी थी
मुझे रोता देख
कुचला था मेरे अरमानो को
न जाने कितनी बाते
दफ़न हुई थी
दिल में
पर जब देखा तुम्हे
रोते
तो  न जाने क्यूँ
याद आई मुझे
तुम्हारी हंसी
वो बचपना
वो मासूमियत
सच ही तो कहता था दोस्त
जिंदगी एक सी नहीं
रहती हर दम
कभी तुम हसी थी मुझे रोता देख
पर आज मै न
हस पाया ....
शायद यही अंतर था
तुझमे और मुझमे
तुम आज भी उसकी दीवानी थी
और मै आज भी
तुमसे प्यार करता हूँ...
कल शाम जब देखा तुम्हे.

23 comments:

  1. aapne achchha likha hai .aapne pratibha hai .. meri shubhkaamnayen aapke saath hain..

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  2. bahut bahut dhanywad pragya jee.. aapka pahla comment humesha yad rahega .. isi tarah aate rahiyega..

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  3. arvind ji.
    sabse pahle mujhe apna samarthan dene ke liye dil se aapko bahut badhai v dhanyvaad.
    dil ke jajbaato ko badi hi sanjidagi ke saath v gahnta se abhivyakt kiya hai .
    शायद यही अंतर था
    तुझमे और मुझमे
    तुम आज भी उसकी दीवानी थी
    और मै आज भी
    तुमसे प्यार करता हूँ...
    कल शाम जब देखा तुम्हे.
    abhut hi dil ko bhai ye pankatiyan .sach likha hai sabhi ek hi tarah nahi ho sakte.
    bahut bahut badhai itni sundar post ke liye
    .dhanuyvaad
    poonam

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  4. bahut bahut dhanywad poonam jee .. aap ka ashirwad raha to likhta rahunga isi tarah..dhanywad punah ...

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  5. हिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में इस नये ब्लॉग का और आपका मैं संजय भास्कर हार्दिक स्वागत करता हूँ.

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  6. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  7. अविनाश मिश्र जी
    बहुत सुंदर कविता के साथ आपने ब्लॉग जगत में कदम रखा है ...आशा है आप अपने लेखन से ब्लॉग जगत को समृद्ध करेंगे ....यही शुभकामना है ....आपके इस प्रयास में हम भी आपके सहयोगी हैं ....आपका आभार

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  8. भाई मेरे, पहली पोस्‍ट रोने-धोने से शुरू कर रहे हो, चलो ठीक है, वियोगी होगा पहला कवि...

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  9. दिल के जजबातों को बहुत गहरे से अभिव्यक्त किया है| धन्यवाद|

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  10. अविनाश जी !

    "सोचा था कभी मिलूँगा
    तो हस के बात ही करोगी
    पर
    ये क्या?
    तुम तो आज फिर
    वही कहानी लिए मिली.."
    भाई वाह पहली ही रचना बहुत ख़ूबसूरत बन पड़ी है......सही कहा है किसी ने "प्रेम में व्यक्ति कवि हो जाता है और प्रेमिका कविता...."

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  11. पहली बार आपके ब्लॉग पर आया अच्छा लगा
    बहुत खूबसूरती से पिरोया है भावों को ...मन की वेदना की सुन्दर अभिव्यक्ति
    मन प्रसन्न हो गया आपकी शानदार अभिव्यक्ति को पढकर.
    मेरे ब्लॉग पर आयें,आपका हार्दिक स्वागत है.

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  12. BAHUT ACHA LIKHA APNE. AAP BHI HUMARE BLOG PAR AAYE. DHNYWAAD. JAI BHARAT

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  13. BAHUT ACHA LIKHA APNE. AAP BHI HUMARE BLOG PAR AAYE. DHNYWAAD. JAI BHARAT

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  14. पर आज मै न
    हस पाया ....
    शायद यही अंतर था
    तुझमे और मुझमे
    तुम आज भी उसकी दीवानी थी
    और मै आज भी
    तुमसे प्यार करता हूँ...
    कल शाम जब देखा तुम्हे.


    पहली बार आना हुआ आपके ब्लॉग पर। इमानदारी से कहती हूँ , बहुत ही अच्छा लिखा है ।
    बधाई एवं शुभकामनाएं।

    .

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  15. मन के भावों को बहुत ही खुबसुरती से आपने शब्दों में ढाला है। पहली बार आना हुआ आपके ब्लाग पर। पर आना सफल रहा।

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  16. बहुत सुंदर कविता **********आपका आभार

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  17. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद....
    आते रहिएगा इसी प्रकार

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  18. मई नहीं भई, मैने तो कमेंट किया ही नहीं है। जब कमेंट का मूड नहीं बनता तो ... लिख कर चला जाता हूँ। इसका मतलब मैने पोस्ट पढ़ी लेकिन कमेंट करना नहीं आया।

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  19. NEHA...

    Acha hai,kyunki shayad ye sacha hai....NICE

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  20. पर आज मै न
    हस पाया ....
    शायद यही अंतर था
    तुझमे और मुझमे
    तुम आज भी उसकी दीवानी थी
    और मै आज भी
    तुमसे प्यार करता हूँ...
    कल शाम जब देखा तुम्हे.

    aapki is rachna ne nishabd kar diya.

    dard dil se likha hai dost.......

    bura na maane to ek baat kahunga....vo gaana aksar yaad karte rahna chahiye...."teri bewafaai ka shikwa karun to meri mohabbat ki toheen ho"..........

    saath me mehsoos ho raha hai ik aap is daur se gujar chuke hain aur ye aapki apni aatma katha ko vyakt karti kawita hai.......

    amazing!!!!!!

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